उत्तरकाशी। (द्वारिका सेमवाल) बाबा विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी के ज्ञानसू में स्थित नदी तट पर चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठे दिन रामकथा का प्रवचन करते हुए विश्व विख्यात संत मोरारी बापू ने कहा कि राम रूपी साधु एक विराग, विवके, विनोद और विलास का रूप है।
साधु एक विचार का नाम है, आकार का नहीं है। साधु विचारों को सिद्ध नहीं शुद्ध कर देता है। उन्होंने कहा कि शब्द से अधिक ध्वनि का अधिक महत्व होता है। शब्द कोश से निकले मंत्र गुरू के मुख से निकला मंत्र महामंत्र बन जाता है। राम-राम सब जपते है,लेकिन यदि इसे गुरू के मुख जपे तो इसमें पूरा बीज मंत्र समा जाता है और हर किसी का जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने कहा कि वानर रूपी हनुमान शंकर के रूप प्रकट हुये। मोरारी बापू ने कहा कि हनुमान काल द्रब को निकट नहीं आने देते। हनुमान बड़ी उर्जा का नाम है जो काल वाले दूत को भविष्य वाले दूत के निकट नहीं आने देते। हनुमान के रहते काल अपना प्रभाव नहीं डाल सकता है।
उन्होंने कहा कि वानरों ने जब पुप्पक विमान से रावण की ओर से डाले वस्त्र वानरों ने पहने तो वह भगवान राम के पास गये और कहने लगे कि प्रभु वह कैसे लग रहे है तो राम ने जबाव दिया कि आपस में एक दूसरे से पूछ लो। वानरों ने जब ऐसा किया तो सबने अच्छा दिखने की बात कही,लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सत्य एक दूसरे के बोलने से नहीं निकल सकता, बल्कि यह राम के कहने से ही पता चल सकता है।
उन्होंने कहा कि परमात्मा सबसे समान रूप से व्याप्त है,लेकिन यह प्रेम से ही प्रकट हो सकता है। उन्होंने कहा शिव साधु है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने भैरव को अष्टक कहा है। शिव ही भैरव के ये आठ रूप है। मोरारी बापू ने कहा कि शिव काल्याण रूपी है। सुख देने वाला है, शिव भक्ति करने से पाप का प्रलय होने के साथ ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्रभु के दर्शन की लालसा रखने के बजाय प्रभु तू हमे देखे यह धारणा रखने से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। मानस में सती और सुग्रीव को संदेह हुआ था। जो एक सम्मान था। सती के पास शिव थे,जबक सुग्रीब के पास राम। दोनों का संदेह एक जैसा था। सुग्रीब ने सीता की खोज करते समय राम को रोते देखकर संदेह किया,जबकि सत ने सीता के राम के साथ न होते रोते देखकर राम पर संदेह किया।
पार्वती ने जब इस बारे में शिव को पूछा तो दोनों का संदेह सही सिद्ध हुआ। शब्द और ध्वनि का जिक्र करते हुये मोरारी बापू ने कहा कि शब्द से अधिक ध्वनि का महत्व है। ध्वनि भी एक डिग्री होती है जो 120 से 130 तक जाने से सुनने वालों का पागल कर देती है। उन्होंने कहा कि मंत्र एक ऐसी ध्वनि है जो शब्द से उपर चढ़कर आता है।
श्री राम कथा सुनने के लिये पंडाल में गुजरात समेत देश के विभिन्न राज्यों तथा स्थानीय लोग हजारों की संख्या में उपस्थित रहे। कथा समाप्ति के मौके पर आयोजकों की ओर से सभी श्रद्धालुओं को भोजन व प्रसाद ग्रहण कराया गया। इस अवसर पर आयोजक रमाशंकर बाजोरिया,हरि प्रसाद समेत उनके कई गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।